गोरक्षपीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरक्षपीठ को साधना स्थली बनाकर युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने अपने जीवन को भारतीयता के आदर्शों के प्रति समर्पित किया। उन्होंने सनातन धर्म की परिपूर्णता का पालन करते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश और गोरखपुर में एक सुसंस्कृत समाज की नींव रखी। महंत दिग्विजयनाथ जी के विचार और उनके कार्य हमें निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
सीएम योगी यह बातें महंत दिग्विजयनाथ जी की 55वीं और राष्ट्रसंत महंत अवेद्यनाथ जी की 10वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के दौरान व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ के दोनों पूर्ववर्ती पीठाधीश्वर देश और धर्म के प्रति समर्पित थे। उनका मानना था कि धर्म केवल उपासना पद्धति नहीं है, बल्कि भारतीय मनीषा में वर्णित धर्म के रूप के अनुसार जीवन जीना है, जो सांसारिक उत्कर्ष और निःश्रेयस का मार्गदर्शन करता है।
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि महंत दिग्विजयनाथ जी ने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य समाज के कल्याण के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना था। उन्होंने गोरखपुर में विश्वविद्यालय और कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की, जो आज शिक्षा और समाज सेवा में अग्रणी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों महंतों ने सनातन धर्म की मजबूती और सामाजिक समरसता के लिए लगातार कार्य किया। उन्होंने छुआछूत मिटाने के प्रयासों में कभी भी किसी सरकार की परवाह नहीं की और हिंदू समाज को एकजुट करने का कार्य किया।
उन्होंने आगे कहा कि महंत दिग्विजयनाथ जी में दिव्य दृष्टि थी, और उन्होंने 1949 में ही अयोध्या में राम मंदिर बनने का अनुमान लगाया था। आज उनके संकल्प पूरे हो रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने महंतों के संकल्पों और उनके मार्गदर्शन को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करने का आह्वान किया।
सभा में प्रमुख वक्ताओं ने भी महंत दिग्विजयनाथ जी और महंत अवेद्यनाथ जी के योगदान की सराहना की।