गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की दो महत्वपूर्ण मेगा शोध परियोजनाओं को एक सप्ताह के अंदर मंजूरी मिली है।
कुलपति प्रो पूनम टंडन के कुशल नेतृत्व में गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा मिलेट (श्री अन्न) पुनरुद्धार के लिए एक मेगा अनुसंधान परियोजना (73.14 लाख) प्राप्त करने के बाद, उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (यूपीसीएआर), लखनऊ से 24.86 लाख रुपये का एक और अनुसंधान अनुदान प्राप्त किया है।

इस परियोजना को प्रमुख अन्वेषक के रूप में वनस्पति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रामवंत गुप्ता और सह-प्रमुख अन्वेषक के रूप में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर दिनेश यादव को मंजूरी दी गई है। परियोजना की अवधि तीन वर्ष की है।

हाल ही में भारत में एंथेसिस (पुष्पक्रम) के दौरान तापमान में अचानक वृद्धि के कारण गेहूं का उत्पादन 110 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) से घटकर 99 एमएमटी हो गया है। उत्तरी भारत में गेहूं पर अनुमानित जलवायु परिवर्तन के विश्लेषण से पता चला है कि तापमान में प्रत्येक डिग्री वृद्धि से गेहूं की उपज में 4 मिलियन टन की कमी हो सकती है। इसलिए, इस परियोजना का उद्देश्य ऊंचे तापमान के तहत गेहूं के प्री-जाइगोटिक चरण के दौरान प्रकाश संश्लेषक उपकरण के प्रदर्शन को समझना है।

परियोजना का अपेक्षित परिणाम निम्नलिखित होगा।
1) ऊंचे तापमान में उत्पादन और उत्पादकता में सुधार के लिए गेहूं की गर्मी-सहिष्णु प्रजातियों की पहचान करेंगे।
2. प्री-जाइगोटिक प्रक्रियाओं के दौरान संभावित उच्च तापमान से सम्बंधित संवेदनशील चरणों की पहचान करेंगे जो गेंहू में निषेचन, भ्रूण विकास तथा बीज विकास में मददगार साबित हो।
3. परिणाम से ऊंचे तापमान में बेहतर फसल प्रबंधन के लिए एक रणनीतिक योजना विकसित करने तथा अधिक पैदावार प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए कुलपति प्रो पूनम टंडन ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय के लिए यह अत्यंत गर्व का विषय है। शोध से ही विश्वविद्यालय की पहचान होती है।
कुलपति ने किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होने वाली इस शोध परियोजना के सफल कार्यान्वयन के लिए प्रमुख अन्वेषक तथा सह-प्रमुख अन्वेषक को शुभकामनाएं दी है।

UP Ki Awaaz 24x7
Share.
Leave A Reply

Exit mobile version