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    Home » नृसिंह शोभायात्रा में शामिल होंगे सीएम, 26 को मनेगी होली
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    नृसिंह शोभायात्रा में शामिल होंगे सीएम, 26 को मनेगी होली

    UP ki Awaaz 24x7By UP ki Awaaz 24x7March 21, 2024Updated:March 21, 2024No Comments3 Mins Read
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    गोरखपुर। होली 26 मार्च को मनाई जाएगी। वहीं होलिका दहन 24 मार्च की मध्यरात्रि किया जाएगा। होली के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से निकलने वाली शोभायात्रा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल होंगे।
    देशभर में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा। वहीं होली 25 मार्च को मनाने की तैयारी है, लेकिन गोरखपुर में होली 26 मार्च को मनाई जाएगी। इससे पहले भी 2007, 2011, 2016 और 2022 में होली एक दिन बाद मनाई जा चुकी है। गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ ने बताया कि पंचांग के अनुसार होली 26 मार्च को मनाई जाएगी।

    वहीं पंडित शरद चंद्र मिश्र और पंडित डॉ. जोखन पांडेय शास्त्री ने बताया कि वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार, 24 मार्च को चतुर्दशी तिथि का मान सुबह नौ बजकर 23 मिनट तक पश्चात पूर्णिमा तिथि है। इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र सुबह सात बजकर 18 मिनट, पश्चात उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और वृद्धि योग और छत्र नामक औदायिक योग है।
    दूसरे दिन यानी 25 मार्च को पूर्णिमा दिन में eleven बजकर 31 मिनट तक है। शास्त्र के अनुसार, होलिका का पूजन और दहन पूर्णिमा कालिन भद्रा रहित समय में किया जाता है। पूर्णिमा तिथि के पहले भद्रा रहती है। भद्रा की स्थिति 24 मार्च को सुबह नौ बजकर 23 मिनट से रात 10 बजकर 28 मिनट तक है। बताया कि 24 मार्च को रात में 10 बजकर 28 मिनट के बाद और दूसरे दिन सूर्योदय के पहले कभी भी होलिका का पूजन और दहन किया जा सकता है। बताया कि 25 मार्च को उदया तिथि में चैत्र मास की प्रतिपदा का मान नहीं होने से होली 26 मार्च को मनाई जाएगी।

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    चैत्र प्रतिपदा को निकलती है शोभायात्रा

    नृसिंह शोभायात्रा आपसी सद्भाव की मिसाल है। इस यात्रा में श्रद्धालु जमकर होली खेलते हैं। होली गीत गूंजते हैं। काले व हरे रंग का प्रयोग नहीं होता। केवल लाल-पीले रंगों से ही होली खेली जाती है। इसका श्रेय नानाजी देशमुख को जाता है। वह 1939 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक बनकर गोरखपुर आए थे। उस समय घंटाघर से निकलने वाली भगवान नृसिंह शोभायात्रा में कीचड़ फेंकना, लोगों के कपड़े फाड़ देना, कालिख पोत देने के साथ ही काले व हरे रंगों का लोग अधिक प्रयोग करते थे। 1944 में नानाजी ने कुछ युवकों को एकत्रित किया और बदलाव की दिशा में पहल की।
    इसके लिए हाथी का बंदोबस्त किया गया। महावत को सिखाया गया था कि जहां काला या हरा रंग का ड्रम दिखे, उसे हाथी को इशारा कर गिरवा दे, ऐसा दो-तीन साल किया गया। कुछ अराजक लोगों से युवकों को हाथापाई भी करनी पड़ी। धीरे-धीरे भगवान नृसिंह की रंगभरी शोभायात्रा में केवल रंग रह गए और उसमें भी काला व हरा नहीं। धीरे-धीरे इसकी छाप पूरे शहर में पड़ी। तभी से यह शोभायात्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से निकाली जाती है।
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