दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में हीरक जयंती वर्ष के अंतर्गत बसंत पंचमी तथा सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जयंती का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने हिंदी विभाग की विशिष्टता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह विभाग निरंतर श्रेष्ठता की ओर अग्रसर है और यहाँ के विद्यार्थियों का आत्मविश्वास, सहजता एवं गुणवत्ता शिक्षकों की उत्कृष्ट भूमिका को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सच्चा शिक्षित वही होता है जिसके आचरण में शिक्षा परिलक्षित हो।
निराला का साहित्यिक विद्रोह और उनकी चेतना
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. चितरंजन मिश्र ने निराला को अपने समय के सबसे निर्भीक साहित्यकारों में गिना। उन्होंने कहा कि निराला ने अपनी रचनाओं में समाज की असमानता, अन्याय और शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाई। उनकी कविताएँ केवल साहित्यिक विद्रोह नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की प्रेरणा भी देती हैं। प्रो. मिश्र ने यह भी कहा कि साहित्य मनुष्य को दायरों से मुक्त करता है और उसे एक व्यापक दृष्टि प्रदान करता है। निराला ने इस चेतना को अपनी कविताओं में जीवंत किया।
कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. राजवंत राव ने कहा कि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ भारतीय संस्कृति के शाश्वत मूल्यों के पक्षधर थे, लेकिन वे जड़ परंपराओं और सामाजिक रूढ़ियों के खिलाफ भी लड़ते रहे। उन्होंने साहित्य में एक नए बोध का संचार किया, जिसे हम ‘भारत-बोध’ कह सकते हैं। उनकी कविताएँ केवल अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध ही नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त आर्थिक व सामाजिक असमानता के विरुद्ध भी खड़ी होती हैं।
निराला और वासंती चेतना
हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार गुप्त ने अपने स्वागत वक्तव्य में निराला को वासंती चेतना का कवि बताया। उन्होंने कहा कि बसंत न केवल प्रकृति में बल्कि निराला की काव्य चेतना में भी गहराई से उपस्थित है। उनकी रचनाओं में आशा, नवचेतना और उत्साह का संचार देखने को मिलता है।
सृजन पत्रिका का लोकार्पण एवं विविध प्रतियोगिताएँ
इस अवसर पर हिंदी विभाग की दीवार पत्रिका ‘सृजन’ का लोकार्पण कुलपति प्रो. पूनम टंडन द्वारा किया गया। साथ ही, विभाग में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं – भाषण, काव्य पाठ, फीचर लेखन एवं निबंध प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। विद्यार्थियों ने निराला की कविताओं का सस्वर पाठ किया, जिससे वातावरण साहित्यिक अनुभूति से भर उठा। प्रो. विमलेश कुमार मिश्रा ने निराला की ग़ज़ल को अपनी सुरीली आवाज़ में प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अन्य महत्वपूर्ण आयोजन
इस अवसर पर हिंदी विभाग में कई दिनों से चल रहे साहित्यिक कार्यक्रमों का समापन भी हुआ। ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम के अंतर्गत दिल्ली से प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव विशेष रूप से उपस्थित हुए। इसके अलावा, ‘जयशंकर प्रसाद का व्यक्तित्व एवं कृतित्व’ विषय पर व्याख्यान देने के लिए पूर्वोत्तर से प्रो. हितेंद्र मिश्र आए। इन व्याख्यानों ने विद्यार्थियों को साहित्य की गहराइयों से परिचित कराया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुनील कुमार ने किया तथा अंत में हिंदी विभाग की सांस्कृतिक समिति के संयोजक डॉ. राजेश मल्ल ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो. अनिल राय, प्रो. दीपक त्यागी, प्रो. प्रत्यूष दुबे, डॉ. रजनीश चतुर्वेदी, डॉ. नरेंद्र कुमार, डॉ. रामनरेश राम, डॉ. रितु सागर, डॉ. प्रियंका नायक, डॉ. संदीप यादव, डॉ. अपर्णा पांडेय, डॉ. अखिल मिश्र, डॉ. अन्वेषण सिंह, डॉ. नरगिस बानो, डॉ. अभय शुक्ल समेत बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
इस भव्य समारोह ने हिंदी विभाग की समृद्ध साहित्यिक परंपरा को और सशक्त किया तथा विद्यार्थियों में हिंदी साहित्य के प्रति नई चेतना का संचार किया।