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    उत्तरप्रदेश

    किसान खेत पाठशाला का हुआ उद्घाटन, किसानों को दी गई महत्वपूर्ण जानकारी

    UP ki Awaaz 24x7By UP ki Awaaz 24x7February 6, 2025Updated:February 7, 2025No Comments3 Mins Read
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    संत कबीर नगर जिले के जोगीडीहा गांव में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के तत्वावधान में केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, जैविक भवन, द्वारा किसान खेत पाठशाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम ग्राम – जोगिडीहा विकास खंड – बघौली , जनपद-संत कबीर नगर में 05 फरवरी 2025 को संपन्न हुआ।

    कार्यक्रम का उद्घाटन एवं प्रमुख उपस्थित अधिकारी

    इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्र के प्रभारी अधिकारी श्री राजेंद्र कुमार ने किया। उद्घाटन समारोह में जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. रतन शंकर ओझा, कार्यक्रम की संचालिका वैज्ञानिक कुमारी जयंती, श्री रत्नेश कुमार मिश्रा, जटा शंकर पाण्डेय, मोनल कुमार सिंह, केंद्र के अधिकारी जे.पी. सिंह सहित अन्य विशेषज्ञ व अधिकारी उपस्थित रहे।

    आईपीएम (IPM) का महत्त्व एवं फायदे

    उद्घाटन सत्र के दौरान केंद्र के प्रभारी अधिकारी राजेंद्र कुमार ने समेकित नाशीजीव प्रबंधन (IPM – Integrated Pest Management) के महत्व पर संक्षिप्त व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि यह पद्धति जैविक एवं पर्यावरण अनुकूल विधि है, जिससे फसलों को हानिकारक कीटों से बचाया जा सकता है और रसायनों का कम से कम उपयोग करके पर्यावरण को संरक्षित रखा जा सकता है।

    इस दौरान डॉ. रतन शंकर ओझा ने विस्तार से बताया कि आईपीएम विधि से खेती करने के अनेक फायदे हैं। इससे न केवल उत्पादन लागत कम होती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है। उन्होंने किसानों को रासायनिक कीटनाशकों के अधिक उपयोग से होने वाले नुकसान के बारे में भी अवगत कराया।

    कार्यक्रम संचालन व किसानों की सहभागिता

    कार्यक्रम की संचालिका कृषि वैज्ञानिक कुमारी जयंती ने कार्यक्रम संचालन से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने किसानों को बताया कि इस पाठशाला का मुख्य उद्देश्य उन्हें वैज्ञानिक तरीकों से खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे वे अपने उत्पादन को बढ़ा सकें और कम लागत में अधिक लाभ कमा सकें।

    इसके अलावा सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी रत्नेश कुमार मिश्रा ने आईपीएम गीत के माध्यम से किसानों को महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। उन्होंने गीतों के जरिये किसानों को कीट प्रबंधन, जैविक तरीकों, फसल सुरक्षा और नवीनतम कृषि तकनीकों के बारे में शिक्षित किया।

    अधिकारी मोनल कुमार सिंह ने आईपीएम के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसानों को पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों को भी अपनाना चाहिए। इससे फसल उत्पादन में वृद्धि होगी और मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहेगी।

    जटा शंकर पाण्डेय ने बताया कि आज के समय में खेती में वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाना बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने किसानों को नए कृषि उपकरणों, जैविक खाद, सूक्ष्म पोषक तत्वों और जल संरक्षण तकनीकों के उपयोग के बारे में जानकारी दी।

    राज्य कृषि विभाग की सहभागिता

    इस दौरान राज्य कृषि विभाग के अधिकारी दिलीप कुमार विश्वकर्मा, सुरेंद्र चौधरी और इन्द्रेश चौधरी भी उपस्थित रहे। उन्होंने किसानों को सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न योजनाओं, अनुदान, जैविक खेती के लाभ और बीमा योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

    निष्कर्ष

    किसान खेत पाठशाला कार्यक्रम किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुआ। इसमें उन्हें आईपीएम तकनीक, जैविक खेती, कीट प्रबंधन, आधुनिक कृषि उपकरणों और वैज्ञानिक खेती की जानकारी दी गई। इस तरह के कार्यक्रम किसानों को जागरूक करने और उन्नत खेती की ओर प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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